Tuesday, 31 January 2017

Hindi translation of "History Of Mankind" written by Sanjay Tandon


कहानी – मानवता का इतिहास

अपने जीवन में अध्यात्मिक खोज यथाशीघ्र आरम्भ करो, टालो मत क्योंकि ये जिंदगी का सफ़र कब समाप्त हो जायेगा पता भी नहीं चलेगा l

प्राचीन काल में एक राजा थे जो मानव इतिहास के बारे में सम्पूर्ण ज्ञान पाना चाहते थे l इस कार्य के लिए उन्होंने अपने सभासदों में एक विद्वान को नियुक्त किया l उसे राजा के लिए इस विषय पर एक पुस्तक लिखनी थी. उसे इस विषय पर अनुसन्धान करने में सहायता करने के लिए सहायक भी दिए गए जिससे उन्हें उस पुस्तक को लिखने में आसानी होl 

विद्वानों के उस दल ने दिन-रात बहुत परिश्रम किया और कुछ सालों के बाद एक बहुत बड़ी किताब लिखी जिसे बड़े उत्साह और आडम्बर के साथ राजा के सम्मुख प्रस्तुत किया गया l राजा ने पुस्तक पर एक नजर डाली और उसके बड़े आकार को देख कर कहा “में राजा हूँ मुझे कई दायित्व निभाने पड़ते है इतनी बड़ी किताब को पढने में तो सारा समय निकल जाएगा  में राज काज कब करूँगा ? इसको संक्षेप में लिखो तो में पढूंगा l ”

विद्वानों का वह दल पुनः कुछ वर्ष असीम परिश्रम करके संक्षेप में लिखा उस वृहत पुस्तक को, यह ध्यान में रखते हुए की कोई महत्वपूर्ण घटना या तथ्य न छुटे तथा सारे आंकड़े बने रहे l पुनः राजा ने असन्तोश जताया और कहा ‘ये क्या ? लगता है तुम लोगो ने बस समय व्यतीत किया है मेहनत नहीं की, अभी भी इतना बड़ा है, राज काज करते हुए इतना समय नहीं मिलेगा की इस पुस्तक को पढ़ पाऊंl . पुनः इसे और कम करो मेरे मित्रो.”l

निराश हो उस विद्वान ने आखें नीची कर उस पुस्तक को उठाया और फिर कई सालों में उस पुस्तक के सारांश को निचोड़ कर एक छोटी सी किताब लिखी l इस बार वह बड़े आत्मविश्वास के साथ राजा को अपनी किताब पेश की, परन्तु पहले की तरह फिर राजा खुश नहीं हुए l खीजते हुए कहा ‘ अरे इतनी छोटी हस्तलिपि है इसे मेरी कमजोर आखें नहीं पढ सकती, इसके अलावा अभी भी ये बड़ी ही है l मेरे राज्य के इतने सारे कार्यो को करते हुए समय नही निकाल सकता इसे पढने के लिएl ऐसा करो इसे और संक्षेप में लिख कर लाओ l उस विद्वान के पास कोई उत्तर नहीं था l वह नहीं समझ पा रहा था १० पन्नो की पतली सी किताब को और कितना कम करे वह भी इतने बड़े विषय पर l पर उसके पास कोई उपाय नहीं था इसलिए पुनः जुट गया और पुस्तक के सारांश को अति कम शब्दों में लिखने की कोशिश की l

कुछ साल बीत गए और वह विद्वान राजा के पास लौटा पर इस बार वह केवल एक पन्ना लेकर आया था l राजा उसे देख संतुष्ट हुए पर कहा – अंततः इस बार तुम सफल हुए, पर अब में वृद्ध हो गया हूँ, मेरी आखें इतनी कमज़ोर हो गयी है की में स्वयं पढ़ने मैं असमर्थ हूँ. इसलिए तुम ही इसे ऊँची आवाज में पढ़ कर सुना दो l  विद्वान ने राजा की आज्ञा स्वीकार कर पढना शुरू किया –

‘मनुष्य इस संसार में जन्म लेता है’, कुछ समय के लिये वह यहाँ रहता है’,फिर वह मृत्यु को प्राप्त होता है’lयही मानव जाति की कहानी है l तीन वाक्यों में पूरा मानव इतिहास सिमट सकता है l जन्म और मृत्यु पूर्व निश्चित है, एक रेखा के दो बिंदु है बीच के समय को अर्थात जीवन को हम कैसे पूर्ण करते हैं यह हमारे कर्म निर्धारित करते हैं  l                                             ***

1 comment:

  1. This story is originally written in english by Sanjay Tandon. Sorry to miss it in the title.

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